शिक्षा विभाग कोटड़ी के दो अधिकारी सालो से कर रहे है मनमानी ,राज बदला पर आदत नही

भीलवाड़ा समाचार‌ 
भेरू चौधरी@
कोटड़ी में कुछ सालों पूर्व करोड़ो रूपये के घोटाले उजागर होने के बाद भी कोटड़ी का शिक्षा विभाग नही सुधर पाया है।  सरकार कांग्रेस की हो या बीजेपी की यहाँ दो नटवरलाल ऐसे है जो हर विद्यायल में अपनी हनक जमा कर बैठे है। कहने को उनका काम शिक्षा व शिक्षकों की गुणवत्ता को सुधारने का है पर असल मे वह दोनों सिर्फ कमीशनखोरी की दुकान चला रहे है  कोटड़ी शिक्षा विभाग को पतीला लगाने के लिए इन दोनों ने अपना अलग ही साम्राज्य स्थापित कर रखा है। शिक्षा अधिकारी यहां महज एक कठपुतली की तरह बिठाया जाता है बाकी के सभी काम ओर उगाई इन्ही दो नटवरलालो द्वारा की जाती है। किस शिक्षक को कहा लगाना , किस विद्यालय में कौन काम करेगा - कौन नही करेगा सब यह दोनों ही तय करते है ! मजे की बात यह है की ट्रेनिंग के नाम पर मोटी रकम कैसे छापी जाए इसकी इन दोनों ने पीएचडी कर रखी है। ,मुख्यालय को छोड़कर ऐसे विद्यायल का चयन ट्रेनिग के लिए किया जाता है जहां आसानी से पहुचना संभव ही नही होता ताकि अधिकांश शिक्षक प्रशिक्षणों में पहुचे बिना ही उनके नाम के बिल उठाए जाते है। शिक्षा विभाग जैसे पवित्र विभाग को दीमक की तरह चाटा जा रहा है ! शिक्षा विभाग सहित सतर्कता टीमें भी इन दोनों की कॉलर नापने की तैयारियों में लग गई है। विभाग के उच्च अधिकारी भी दोनों की चापलुशी के चलते अपनी आंखों को बन्द कर रखा है। ब्लॉक के शिक्षकों को कैसे परेशान किया जाये व किस प्रकार बजट को बचाया जा सके ताकि मोटी रकम की चाशनी खुद भी चखे ओर उन तक भी पहुच जाए। पिछले राज में आका का वरदहस्त से मजा करने वाले दोनों अधिकारी राज बदलने के बाद भी बदली पार्टी में भी मलाई चाटने से बाज नही आ रहे है। सरकार की लाखों तनख्वाह लेने वाले दोनों नटवरलाल एक साथ विद्यालय के निरीक्षण करने पहुचने से विभाग की गतिविधियों का बंटाधार तो हो ही रहा है साथ ही कमीशन के खेल की पारी में बेटिंग व बोलिंग दोनों मिल कर खेलते है और नही देने  वाले आम शिक्षकों को ब्लॉक के विद्यालयों  की फील्डिंग में दौड़ाया जाता है। इतना ही नही प्रति वर्ष सरकारी बजट से सामग्री खरीद के लिए भी शिक्षकों से अपनी कमीशनखोरी की दुकानों से खरीदने का दबाव बनाने का काम करते है ताकि करोड़ो के बजट से कमीशन की कुण्डली मार सके। कुछ शिक्षकों ने नाम नही छापने की शर्त पर इनके काले कारनामों के सबूत को सामने लाने के लिए कमर कस ली है। इनपर अंकुश नही लगा तो कोटडी का शिक्षा विभाग फिर सुर्खियों में आएगा। अब देखना यह है कि सरकार, विभाग के आला अधिकारी व स्थानीय नेताओं पर इनका कितना असर पड़ता है।